*जगदगुरू शंकराचार्य ने कहा गोहत्या के मामले में भारत पहले स्थान पर*

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*जगदगुरू शंकराचार्य ने कहा गोहत्या के मामले में भारत पहले स्थान पर*

*सरकार की गोशाला योजना से संतुष्ट नहीं*

*चार हजार से अधिक गोधाम बनाने की योजना- जगद्गुरू शंकराचार्य*

बिलासपुर।जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गोहत्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत अब गोहत्या के मामले में विश्व में पहले स्थान पर है।रविवार को वह तहसील क्षेत्र में गुजरैला गांव स्थित मंगलधाम में माता महाकाली महासरस्वती एवं खाटू श्याम बाबा की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पहुंचे थें इस दौरान शंकराचार्य ने पूर्व कांग्रेसी विधायक संजय कपूर के आवास पर मीडिया से बात की।उन्होंने कहा कि सरकार की गोशाला योजना से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए चार हजार से अधिक गोधाम बनाने की योजना बनाई है।शंकराचार्य ने कहा कि भारत में रहने वाले मूल भारतीयों की संस्कृति का केंद्र गाय रही है। लेकिन सरकार उपेक्षा का भाव दिखा रही है। उन्होंने ‘करें जो गौमाता पर चोट कैसे दे हम उसको वोट’ का नारा दिया।उन्होंने बताया कि अंग्रेजों को देश से इसलिए भगाया गया क्योंकि उन्होंने गोहत्या शुरू कर दी थी। आजादी के समय वादा किया गया था कि पहली कलम से गोहत्या बंद करेंगे। लेकिन ये वादे सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गए।ऐसी परिस्थिति में देश की बहुसंख्यक जनता गोहत्या की बात करें तो कोई सुनता नहीं, आंदोलन करो तो गोली चला देते हैं,और यह कह देते हैं मर जाओ हमें क्या लेना कोई पदयात्रा निकालता है,धरना देता है,आमरण-अनशन करता है कि सरकारों के सामने कहने की नीति जो बनी अब सब वह ध्वस्त हो चुकी है,कोई भी सुनने को तैयार नही है,ऐसी परिस्थिति में देश की जनता करें तो क्या करें तो हमने यह नारा दिया कि करें जो गौमाता पर चोट,कैसे दे हम उसको वोट, आखिर हमारी मजबूरी है।उन्होंने कहा और दूसरे धर्मशास्त्र की दृष्टि से भी यही पाया जो अपराधी का समर्थन करता है,वह भी पापी होता है, कानून की दृष्टि से अपराधि और धर्म की दृष्टि से पापी,जो नेता हमारे वोट से जीतकर सांसद या विधानसभा में जाते हैं और वहां गोरक्षा पर कानून न बनाकर गोहत्या को प्रोत्साहन देते हैं,तो हमारे वोट से जीतकर वहां गए तो हम भी पापी,पापों से बचने के अपनी गोमाता को सुरक्षित रखने के लिए अब हमारा आंदोलन तेज हो रहा है,हम उसी प्रत्याशी या पार्टी को वोट देंगे जो गोमाता के लिए खड़ा दिखाई देगा क्योंकि हम अपने मताधिकार से देश की तस्वीर बदल सकते हैं।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

जगद्गुरु शंकराचार्य के बारे में
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कुछ महत्वपूर्ण बातें
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🙏🙏*अद्वैत वेदांत*🙏🙏
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शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत की स्थापना की जो एक दर्शन है जो ब्रह्म(ईश्वर) को सभी वास्तविकता का स्रोत मानता है

🙏🙏*चार मठ*🙏🙏
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उन्होंने भारत के चार दिशाओं में चार मठ स्थापित किए-श्रृंगेरी, द्वारका, गोवर्धन और ज्योतिष पीठ

🙏🙏*जगद्गुरु की उपाधि*🙏🙏
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जगद्गुरु की उपाधि का अर्थ है *विश्व का गुरु*

🙏🙏*सनातन धर्म का पुनरुद्धार🙏🙏
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शंकराचार्य को सनातन धर्म को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है जो एक प्राचीन हिंदू धर्म हैं।

🙏🙏*उपनिषदों की संख्या*🙏🙏
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शंकराचार्य नें उपनिषदों की व्याख्या की और अद्वैत वेदांत की व्याख्या की,जो हिंदू दर्शन के महत्वपूर्ण भाग है ।

🙏🙏*संन्यासी जीवन*🙏🙏
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शंकराचार्य ने युवावस्था में ही सन्यासी जीवन अपना लिया था

🙏🙏*शंकराचार्य की उपाधि*🙏🙏
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शंकराचार्य की उपाधि चार पीठों के प्रमुखों को दी जाती है ।

🙏🙏*शंकराचार्य का महत्व:*🙏🙏
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शंकराचार्य ने हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है उनके अद्वैत वेदांत और चार मठों ने हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने में मदद की ।

🙏🙏🙏🙏🙏आईए जानते हैं🙏🙏🙏🙏🙏

*जगतगुरु की उपाधि कैसे मिलती है*

जगद्गुरु की उपाधि एक सम्मानजनक पदवी है जो ऐसे व्यक्ति को दी जाती है जो ज्ञान, अध्यात्म, और धर्म में असाधारण रूप से कुशल हो ।इसे प्राप्त करने के लिए,व्यक्ति को वेदों,शास्त्रों, और दार्शनिकों के ज्ञान के साथ-साथ एक उच्च स्तर की आध्यात्मिक उपलब्धि भी प्राप्त होनी चाहिए ।

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