*जिला गन्ना अधिकारी ने शाहबाद के ग्रामों का भ्रमण कर गन्ना फसल में पानी निकासी एवं कीटरोग के सम्बन्ध में कृषकों को दी जानकारी।*
👉भास्कर न्यूज़ टुडे/आर के कश्यप 🙏प्रधान संपादक🙏
रामपुर: 👉रोग एवं कीट से प्रभावित गन्ना फसल के आकलन एवं त्वरित रोकथाम के लिए शासन से प्राप्त निर्देशों के क्रम में जिला गन्ना अधिकारी शैलेश कुमार मौर्य के साथ कृषि विज्ञान केन्द्र धमौरा के वैज्ञानिक डा. नरेन्द्र सिंह, कृष्ण गोपाल गौतम सचिव, सहकारी गन्ना विकास समिति लि., रामपुर एवं अनुज कुमार आर्य प्रबन्धक (गन्ना) राणा शुगर्स लि., करीमगंज उपस्थित रह कर शाहबाद के केसरपुर, करीमगंज, रूपापुर, बरखेड़ा एवं सराय इमाम ने ग्रामों का भ्रमण कर गन्ना फसल में पानी निकासी एवं कीटरोग के सम्बन्ध में कृषकों को जानकारी दी।
ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक जितेन्द्र कुमार यादव के साथ कृषि विज्ञान केन्द्र धमौरा के कृषि वैज्ञानिक डा. अनुज बंसल एवं प्रबन्धक (गन्ना) चीनी मिल मिलक नरायनपुर देवेन्द्र सिंह के साथ सहकारी गन्ना विकास समिति क्षेत्र स्वार के ग्राम खेमपुर, रसूलपुर, पसियापुरा, जामिनगंज एवं बूढी दढ़ियाल में भ्रमण कर कृषकों को खेतों में जलभराव एवं कीटरोगों के बारे में बताया गया तथा उसके उपचार हेतु रसायन एवं उर्वरकों के सम्बन्ध में निम्न जानकारी दी गयी।
जिन क्षेत्रों में बाढ़ का पानी खेतों से बाहर निकल चुका है, उन खेतों में जड़ विगलन (रूट राट) रोग के प्रबन्धन हेतु फफूंदनाशी थायोफेनेट मिथाईल 70 WP अथवा कार्बन्डाजिम 50 WP का 02 ग्राम प्रति ली. पानी की दर से गन्ने की जड़ों के पास ड्रेचिंग करें। फसल की तीव्र वृद्धि के लिए घुलनशील उर्वरक एन.पी. के. 19:19:19 का 05 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 ली. पानी में घोल बनाकर गन्ने की पत्तियों पर छिड़काव करें।
जिन खेतों में अधिक समय तक पानी भरा हो अथवा नत्रजन की कमी वाले खेतों में कहीं-कहीं पर सफेद मक्खी का प्रकोप देखा जाये तो इस कीट के नियन्त्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. की 150-200 एम.एल. मात्रा को 625 ली. पानी में घोल बनाकर गन्ने की पत्तियों पर छिड़काव करें।
कुछ जल प्लावित क्षेत्रों में सफेद गिडार अथवा व्हाइट ग्रब का प्रकोप देखा जाये तो इसके नियन्त्रण हेतु बाइफेन्थ्रिन 10 ई.सी. घोल दर 800 एम.एल. अथवा क्लोथियानिडीन 50 WDG 250 ग्राम को 1875 ली. पानी में घोल बनाकर गन्ने की लाइनों में ड्रेचिंग के उपरान्त सिंचाई कर दें। इस कीट के जैविक नियन्त्रण हेतु 05 किग्रा प्रति हे. की दर से बवेरिया बैसियाना को 01-02 कु. गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर गन्ने की लाइनों में जड़ों के पास प्रयोग करें।
जड़ बेधक कीट का भी प्रकोप दिखायी देता है तो गन्ने की जड़ वाले भाग को नुकसान पहुँचाता है। इसके नियन्त्रण हेतु क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. 05 ली. अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 500 एम.एल. को 1875 ली. पानी में घोल बनाकर गन्ने की लाइनों में जड़ों के पास ट्रेंचिंग करें।
मौके पर उपस्थित कृषकों से अनुरोध किया गया कि किन्हीं किसी कृषक के खेत में कीटरोग एवं जल निकासी आदि की समस्या आती है तो वह जिला गन्ना कार्यालय, गन्ना समिति के कन्ट्रोल रूम पर सम्पर्क कर अपनी समस्या से अवगत करा सकते हैं।